मान्यता है कि अक्षय तृतीया तिथि को ही सतयुग और त्रेता युग का आरंभ हुआ था। द्वापर युग का अंत होकर कलियुग भी इसी दिन शुरू हुआ था। भगवान परशुराम और ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य इसी दिन हुआ था|
स्नान और दान का पर्व अक्षय तृतीया इस बार 3 मई को पड़ रहा है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, मुण्डन, गृह प्रवेश, नए उद्योगों का शुभारंभ, यज्ञोपवीत आदि कर्म किए जा सकते हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया को सोना खरीदने से लाभ मिलता है। ज्योतिर्विद पं. नरेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि बैसाख मास की शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया तिथि को ही सतयुग और त्रेता युग का आरंभ हुआ था। द्वापर युग का अंत होकर कलियुग भी इसी दिन शुरू हुआ था। भगवान परशुराम और ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य इसी दिन हुआ था। धाम बद्रीनाथ के पट इसी दिन खुलते हैं। वृन्दावन में श्री बांके बिहारीजी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार इसी दिन होते हैं। कहा जाता है कि बैसाख के समान कोई मास नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं और अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है। बैसाख मास की विशिष्टता इस मास की अक्षय तृतीया के कारण ही है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. सुखदेव सिंह ने बताया कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन तृतीया तिथि का मान सम्पूर्ण दिन और अगले दिन सुबह 5:18 बजे तक है। रोहिणी नक्षत्र भी सम्पूर्ण दिन और रात को 1:35 बजे तक है। इस दिन शोभन योग भी दिन में 3:03 बजे तक है। मातंग नामक औदायिक योग बन रहा है।
कर्मों से दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का दिन
आचार्य पं. शरद चन्द्र मिश्र के मुताबिक, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। जल, अनाज, गन्ना, गुड़, दही, सत्तू, फल, सुराही, हाथ के बने पंखे, वस्त्रादि का दान करना विशेष फलदाई माना जाता है। श्रेष्ठ कर्मों द्वारा दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने का दिन है। मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है और संतानों का पूर्ण विकास भी होता है। दीन दुखियों की सेवा करना, अन्न वस्त्रादि का दान आदि शुभ कर्मों की ओर अग्रसर रहने और मन, वचन कर्म से धर्म का पालन करना फलदाई होता है।
सभी शुभ व मांगलिक कार्य हो सकते हैं संपादित
ज्योतिर्विद पं. नरेन्द्र उपाध्याय के मुताबिक अक्षय तृतीया के दिन दो ग्रह सूर्य व चन्द्रमा सर्वदा उच्च स्थिति में रहते हैं। लेकिन समस्त शुभ और मांगलिक कार्यों के सम्पादन के लिए ग्रह बल की आवश्यकता पड़ती है। मानव जीवन पर सूर्य और चन्द्रमा का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि दोनों ग्रह पृथ्वी के सन्निकट है और मनुष्य के क्रियाकलापों को ज्यादा प्रभावित करतें हैं। इस दिन इन दोनों महत्वपूर्ण ग्रहों के उच्च स्थिति में रहने से इस दिन का ज्योतिषीय और खगोलीय दृष्टि से बहुत महत्व है। अतः समस्त शुभ और मांगलिक कार्य, मुहूर्त के अन्य कारकों का विचार न करते हुए सम्पादित किए जा सकते हैं।