किसी भी सामान को बेचने की क्या स्ट्रैटेजी होती है? टीवी पर पिक्चरें देखते हुए बीच में आने वाले इरिटेटिंग ऐड्स पर आपने कभी गौर किया होगा तो पाया होगा, कि या तो प्रोडक्ट की खासियत बताएंगे या फिर ऐसे जताएंगे कि ये सामान खरीद लो और आपके जीवन की सारी दिक्कतें छू मंतर हो जाएंगी. लाइफ की नॉर्मल सी चीज़ों को भी प्रॉब्लम बनाकर उसपर खेल जाएंगे. गोरेपन की क्रीम से लेकर खुशबूदार डिओड्रेंट तक, सभी ने यही किया है और बात अगर लड़कियों से जुड़ी चीज़ों की हो तो मार्केट ने ऐसे-ऐसे झूठ फैलाएं है, जिसे देश की आधी जनता आज भी सच मानती है.
मार्केट के फैलाए झूठों पर बात करने का ख्याल आया बाहुबली फेम एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया की इंस्टाग्राम पोस्ट देख कर.
बाबा सिद्दीकी की इफ्तार पार्टी में तमन्ना भाटिया और सायनी गुप्ता एक जैसी साड़ी पहनकर पहुंचीं और दोनों ने अपने ट्विनिंग मोमेंट को कैप्चर करते हुए फोटो भी शेयर की. इससे मुझे याद आया कि यहां तो ‘गर्ल्स कांट ट्विन’ यानी लड़कियां एक जैसे कपड़े नहीं पहन सकती वाली थ्योरी फेल हो गई. अक्सर लोग कहते हैं कि कोई महिला अपने जैसी साड़ी किसी और को पहने देख ले या कोई लड़की अपने जैसी ही कुर्ती पहने किसी और लड़की को देख ले तो वो बड़ी शर्मिंदा हो जाती हैं या बड़ा जैलेस फील करती हैं.
1. लड़कियों को नापसंद अपने जैसे कपड़े किसी और को पहने देखना
अपने जैसे कपड़े किसी और को पहने देखना कैसे आम घरों में इम्बैरसमेन्ट का इशू बन गया? इस सवाल का जवाब खोजने पर मैंने पाया कि इसके पीछे पूरी स्ट्रेटजी है. बॉलीवुड सेलेब्स जिस भी इवेंट में जाती हैं, वहां उनके कपड़ों पर उनके चेहरे जितना ही फोकस होता है. ड्रेस के ब्रैंड और डिज़ाइन के आधार पर उनका स्टेटस जज किया जाता है. मैगज़ीन्स में उसपर लंबे-लंबे लेख लिखे जाते हैं. कपड़े के डिज़ाइनर, उसकी यूनिकनेस को हाईलाइट किया जाता है और पहले तो रेयर मोमेंट्स ही होते थे जब किसी हीरो या हीरोइन के कपड़े एक जैसे हों. सबके ड्रेस और डिज़ाइन एक्सक्लूसिव होती थी.
कपड़ों पर उनके चेहरे जितना ही फोकस होता है
इसके पीछे मार्केट का बहुत बड़ा हाथ है. किसी हीरो या हीरोइन के लिए डिज़ाइनर से यूनीक कपड़े बनवाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, वो उसे अफोर्ड कर सकते हैं. कई बार तो सर्टेन ब्रांड्स उनके लिए फ्री ऑफ़ कॉस्ट ही कपड़े डिज़ाइन करते हैं क्यूंकि इससे ब्रांड को फायदा होता है. उन्ही का प्रमोशन होता है. लेकिन इन्हीं को फॉलो कर के मिडिल क्लास घर के लोगों की सोच बनती है कि उन्हें भी यूनिक और एक्सक्लूसिव कपड़े चाहिए. वो भी उसे अफोर्ड कर सकते हैं पर गहराई से सोचेंगे तो पाएंगे कि ये सब मार्केट का बुना जाल है.
2 . कपड़े रिपीट न करना.
इसी से जुड़ा एक और मिथ है. कपड़े रिपीट ना करना. एक इवेंट या शादी में पहने हुए कपड़े दोबारा ना पहनना. बॉलीवुड में भी कोई एक बार पहने हुए कपड़े दोबारा नहीं पहनता था पर इस ट्रेंड को जेनेलिआ डी सूज़ा और सोनम कपूर जैसे लोगों ने चेंज किया. जेनेलिआ ने 2012 में जो लहंगा अपने देवर की शादी में पहना था वही लहंगा उन्होंने 2015 में अपने भाई की शादी में पहना. सोनम कपूर ने भी 2014 के फिल्मफेयर में जो ड्रेस पहनी थी उसे कुछ दिन बाद एक और इवेंट में पहना. मेरी नज़र में सोनम और जेनिलिआ ने बहुत अच्छा एक्साम्प्ल और ट्रेंड सेट किया.
तमाम अफोर्डेबल ब्रांड्स और ऑनलाइन स्टोर्स में आजकल कम दामों में स्टाइलिश कपड़े आसानी से मिल जाते हैं. 500-1000 रुपये के बीच में बड़े आराम से पार्टी ड्रेसेज मिल जाती हैं. हमें लगता है कि ये तो हम आराम से खरीद सकते हैं. लेकिन ये नहीं सोचते कि क्या हमें इसकी ज़रुरत भी है?
जब बात कपड़ों की निकली ही है तो मैं ये बताते चलूं कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक फैशन इंडस्ट्री दुनियाभर में हर साल 400 हज़ार करोड़ टन कचरा प्रोडयूस करती है. मोटा-माटी हर व्यक्ति अपने 60% कपड़े रिटायर करता है जो रिसाइकल किए जा सकते हैं. आज की जनरेशन में बहुत से ऐसे लोग हैं जो मानते हैं कि एक बार जिस कपड़े में इंस्टाग्राम में फोटो डल गई उसमें दोबारा तो तस्वीर नहीं ही खिंचानी या पोस्ट करनी है. दोस्तों, ट्रस्ट मी ये सीरियसली मार्केट का बुना ट्रैप है, जिसमें आप फंस जाते हैं. कपड़ों को रिपीट करना एकदम नैचुरल है. आप अगर रिपीट करने से कतरा रहे हैं तो आप जाने कितने रिसोर्सेज बर्बाद कर रहे हैं.
3. हीरा है सदा के लिए..
हम अक्सर सुनते हैं कि डाइमंड्स आर गर्ल्स बेस्टफ्रेंड्स, या हीरा है सदा के लिए. डायमंड का मार्केट बनाने के लिए 4 ब्रांड्स ने उसे इस तरह बताया कि ये लड़की का सबसे अच्छा साथी है. पर एक्चुअली ऐसा नहीं है. डाइमंड एक महंगा स्टोन है. लेकिन इसका रेट सोने जितना फ्लकचुऐट नहीं करता. गोल्ड एक मेटल है. उसे पिघलाकर फ्यूचर में भी यूज़ किया जा सकता है. पर डाइमंड के साथ ऐसा नहीं है. आप उस पत्थर को तोड़-मरोड़ नहीं सकते. उसके रेट भी समय के साथ सोने की तरह बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ते. ये वैसा ही है कि आप अपने शौक में 10 लाख की एक पेंटिंग खरीद लें. उस पेंटिंग की वैल्यू उतनी हो भी. पर इन्वेस्टमेंट वाइज ये एक स्मार्ट मूव तो नहीं है. जब आपको पैसों की ज़रूरत हो तब आप गोल्ड की तरह पेंटिंग नहीं बेच सकते.
4. फेस क्रीम, बॉडी क्रीम और हैंड क्रीम में फर्क है
हाथ, मुंह और बॉडी के लिए अलग अलग क्रीम्स की ज़रूरत होती है. क्रीम का काम स्किन को मॉइस्चराइज़ करना है और किसी व्यक्ति का स्किन टाइप एक सा होता है. ऐसा नहीं होता की चेहरा ऑयली हो और हाथ ड्राई हों. ओवरऑल स्किन एक सी ही होती है.
लेकिन मार्केट ने क्रीम बेचने के लिए ये नैरेटिव सेट किया कि चेहरे की स्किन सेंसेटिव होती है या चेहरे की स्किन को फेयर यानी गोरा बनाने के लिए फलानी क्रीम यूज़ करो. हाथ ज़्यादा ड्राई होते हैं इसलिए हैंड क्रीम इस्तेमाल करो. आप एक ही क्रीम मुंह, हाथ और शरीर के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. उसका काम स्किन को नमी देना है और वो पूरी बॉडी के लिए एक ही तरह से काम करेगी.
5. High Heels बड़ी जच्चे
अंग्रेजी में एक फ्रेज चलता है- ‘Heels will empower you’ यानी हील्स तुम्हें ताकत देंगे, वो पहनकर तुम्हें कॉन्फिडेंस आएगा. हील पहनकर चलती हुई लड़की को बड़ा ग्रेसफुली चलता हुआ बताया जाएगा और मेकअप के बारे में कहा जाता है कि इसे लगाकर लड़कियां कॉन्फिडेंट फील करेंगी. इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं है. ये बस प्रोडक्ट को बेचने के लिए आपको नैचुरल चीज़ों के लिए इन्सिक्योर फील करवाने का तरीका है. आपकी कम हाइट को भुनाकर या चेहरे के दाग या रंग को आड़ बनाकर प्रोडक्ट बेचने के लिए टैगलाइन्स है.
हील्स पहनकर तुम्हें कॉन्फिडेंस आएगा
हम आपको डाइमंड या हील्स खरीदने और मेकअप लगाने के लिए ना बढ़ावा दे रहे हैं ना मना कर रहे हैं. आपके पैसे हैं, आपकी बाइंग कैपेसिटी है, फैसला आपका है. हमारा बस इतना कहना है कि बड़े-बड़े खर्च करने का फैसला केवल इसलिए मत कर लीजिए क्योंकि कुछ ताकतें आपको अपने बारे में इनसिक्योर महसूस करवा रही हैं. आपकी हाइट, बॉडी और शेप सब परफेक्ट है, सब नैचुरल है.