अलवर में 300 साल पुराना मंदिर तोड़ा, आदेश देने वाले बोर्ड में बीजेपी का कब्जा!

 राजस्थान के अलवर जिले में एक 300 साल पुराने मंदिर पर नगरपालिका का बुलडोज़र चलने का मामला गरमाया हुआ है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर मंदिर तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं. आरोप है कि मंदिर में स्थापित भगवान शिव और हनुमान सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी खंडित की गई हैं. हिंदू संगठनों में इसे लेकर रोष है. इलाके के SDM, विधायक और नगरपालिका के खिलाफ़ शिकायत भी की गई है. सवाल किया जा रहा है कि आखिर किसके कहने पर मंदिर तोड़ा गया.





कब टूटा मंदिर?

ख़बरों के मुताबिक़, बीती 17 अप्रैल को अलवर जिले के राजगढ़ कस्बे में एक प्राचीन शिवमंदिर को अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया गया. सड़क को चौड़ा किया जाना था और मंदिर का कुछ हिस्सा सड़क के किनारे नाले पर बना हुआ था. नगर पालिका की टीम यहां बुलडोज़र लेकर पहुंची और कुछ ही सेकंड के अंदर मंदिर की मुख्य छत तोड़ दी गई. मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो उन्हें पुलिस ने मौके से हटा दिया. मंदिर के अंदर स्थापित शिवलिंग को मशीन कटर से काटा गया और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी क्षतिग्रस्त कर दी गईं.


इसके बाद मंदिर प्रशासन की ओर से क्षेत्र के कांग्रेस विधायक जौहरीलाल मीणा, SDM केशव कुमार मीणा और नगर पालिका के चेयरमैन सतीश दुहारिया के खिलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई गई. हालांकि इनमें से किसी पर भी अब तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.


बीजेपी के आरोप

खबर सामने के बाद बीजेपी ने मंदिर तोड़ने के आरोप में कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया. पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा बोले,


‘300 से ज्यादा वर्ष पुराने शिव मंदिर पर जिस तरह से बुलडोज़र चलाया गया है और ड्रिलिंग मशीन से शिवलिंग पर प्रहार किया गया है, ये हम सबके हृदय पर प्रहार है. राहुल जी, सोनिया जी, आप तो वही परिवार हैं जो भगवान राम पर विश्वास नहीं करते. आज राजस्थान में जो आपने मंदिर पर प्रहार किया है वही आपका सच है. चुनाव के वक़्त आप जो त्रिपुंड लगाकर मंदिर मंदिर जाकर अपने आपको भक्त और हिंदू दिखाने की कोशिश करते हैं वो सब मिथ्या है.’


वहीं दिल्ली में बुलडोज़र के एक्शन पर संबित बोले,


‘जहांगीरपुरी दिल्ली में एक वैधानिक कार्रवाई को कम्युनल रंग देने की कोशिश की और जो राजस्थान में किया है वो दर्शाता है कि ये आपकी वोट बैंक की राजनीति है.’


राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने आरोप लगाया कि राज्य की गहलोत सरकार की नीयत साफ़ नहीं है. पूनिया ने कहा कि सरकार को रास्ता निकालकर मंदिर को बचाना चाहिए था. उनके मुताबिक कांग्रेस सरकार तुष्टीकरण की राजनीति करके अपने वोट बैंक को खुश करना चाहती है, इसीलिए 300 साल पुराना मंदिर तोड़ा गया.


बीजेपी ने तुड़वाया मंदिर?

उधर कांग्रेस की तरफ़ से जो जवाब आया, वो चौंकाने वाला था. गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने दावा करते हुए कहा,


‘बीजेपी झूठ बोल रही है. राजगढ़ नगरीय निकाय बोर्ड का चेयरमैन बीजेपी का है. उन्हीं ने बोर्ड में प्रस्ताव लाकर सड़क चौड़ीकरण के लिए मंदिरों और घरों को गिराया है. उन्हीं के इशारे पर मंदिर को तोड़ा गया है. जबकि हमारा विधायक विरोध करता रह गया.’


प्रताप सिंह ने ये भी कहा कि अगर कोई अड़चन न आई तो मंदिर दोबारा बनवाएंगे.


मामले को ठीक से समझने के लिए हमने अलवर में आजतक संवाददाता देवेंद्र भारद्वाज से बात की. उन्होंने बताया,


‘राजगढ़ नगर पालिका बोर्ड बीजेपी का ही है. बीजेपी के सतीश दुहारिया बोर्ड के चेयरमैन हैं. 38 में से सिर्फ एक पार्षद कांग्रेस का है. बोर्ड ने ही सर्वसम्मति से 17 अप्रैल को प्रस्ताव पारित किया कि यहां दो-तीन साल से अतिक्रमण नहीं हटाया गया है. उसे हटाकर सड़क चौड़ी की जाए. कार्रवाई के लिए SDM केशव मीणा से 150 पुलिसकर्मी और अन्य संसाधन मांगे थे. इसके बाद 17 और 18 अप्रैल को अतिक्रमण हटाने का काम शुरू किया गया.’


वहीं राजगढ़ से कांग्रेस विधायक जौहरीलाल मीणा ने आजतक से कहा,


‘मंदिर तोड़ने और अतिक्रमण हटाने में कांग्रेस पार्टी का कोई रोल नहीं है. भाजपा ने ही बोर्ड की मीटिंग में अतिक्रमण हटाने और मंदिर तोड़ने का निर्णय लिया था. लोगों को आपस में लड़वाया जा रहा है. ये लोग भगवान को नहीं मानते हैं. राम के नाम पर झूटी राजनीति करते हैं. मैं और मेरा पूरा परिवार भगवान की पूजा करता है. मुझे कार्यक्रम में बुलाया गया था. मैंने वहां भी बताया कि भाजपा का बोर्ड है और बोर्ड ने ही निर्णय लिया था.’


इस पर बीजेपी की तरफ से सफाई भी आई. अलवर से बीजेपी सांसद बालकनाथ ने कहा कि बोर्ड बीजेपी का है, लेकिन बाकी पुलिस, प्रशासन और मशीनरी कांग्रेस सरकार की है. बालकनाथ का दावा है कि बोर्ड के आदेश पर मंदिर नहीं तोड़ा गया है. और अगर ऐसा है भी तो सभी पर कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि ये सभी की आस्था का मामला है.


इस बीच खबर आई कि बीजेपी ने मामले की जांच के लिए एक पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है. ये टीम राजगढ़ जाकर फैक्ट फाइंडिंग का काम करेगी और इसकी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को सौंपेगी.

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