2019 में मलयाली भाषा की एक फिल्म आई थी. नाम था- ‘इश्क- नॉट अ लव स्टोरी’. ये बिलकुल विरोधाभासी नाम है. खटकता है, इसलिए याद रहता है. इसी नाम से इसे तेलुगु भाषा में बनाया गया. अब इस फिल्म का हिंदी रीमेक आया है, जिसका नाम है ‘ऑपरेशन रोमियो’. अब एक चीज़ पहले साफ कर दी जाए. ये एक मलयाली फिल्म की रीमेक है. इसलिए आगे की बातचीत में गाहे-बगाहे दोनों की तुलना होती रहेगी. ताकि चीज़ों को बेहतर तरीके से समझा जा सके.
‘ऑपरेशन रोमियो’ की कहानी मुंबई में घटती है. आदित्य शर्मा नाम का एक लड़का है, जो आईटी कंपनी में जॉब करता है. उसे कॉलेज में पढ़ने वाली नेहा नाम की लड़की से प्यार है. मगर दोनों को साथ में ज़्यादा समय नहीं मिल पाता. इसलिए एक रात ये लोग लॉन्ग ड्राइव पर निकलते हैं. एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोककर थोड़ा इंटीमेट होते हैं. इसी दौरान वहां मंगेश और किरण नाम के दो लोग पहुंच जाते हैं. वो खुद को पुलिसवाला बताकर आदित्य और नेहा को हैरस करने लगते हैं. घंटों उन्हें डराने-धमकाने और परेशान करने के बाद पैसे लेकर मंगेश उन्हें छोड़ता है. नेहा को कॉलेज ड्रॉप करने के टाइम आदित्य उससे पूछता है कि मंगेश ने उसके साथ क्या बदसलूकी की? नेहा से कोई जवाब नहीं मिलता है. बदले की भावना से आदित्य खुद ही ये पता करने निकल पड़ता है कि नेहा के साथ उस रात क्या किया था. उसका बदला पूरा होता है कि नहीं? नेहा के साथ उस रात क्या हुआ था? क्या इस घटना के बाद नेहा और आदित्य कभी साथ आ पाते हैं? ये जानने के लिए आपको ये फिल्म देखनी पड़ेगी.
लॉन्ग ड्राइव के लिए निकलते आदित्य और नेहा.
‘ऑपरेशन रोमियो’ मॉरल पुलिसिंग और कपल्स के हैरसमेंट पर बात करने वाली फिल्म है. जो कि आज के समय में ज़रूरी मसला है. मगर ये उस प्रॉब्लम के ऊपर बनी प्रॉब्लमैटिक फिल्म मालूम पड़ती है. ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि ये फिल्म मॉरल पुलिसिंग को गलत बताने के चक्कर में खुद कई सारी गलत चीज़ें कर देती है. ये बात ठीक है कि ये रीमेक है. मगर ये ज़रूरी नहीं है कि अगर ओरिजिनल फिल्म में दिक्कतें थीं, तो आप रीमेक में भी उन्हीं गलतियों को दोहराएं. उसे दूसरे पर्सपेक्टिव से देखकर सुधारा जा सकता था. उसमें कुछ नया जोड़ा या पुराना घटाया जा सकता था. उससे होता ये कि ‘ऑपरेशन रोमियो’ के पास कुछ अलग कहने या दिखाने को होता है. जिसका इम्पैक्ट शायद ओरिजिनल फिल्म से भी ज़्यादा होता.
ड्राइव के दौरान आदित्य और नेहा को परेशान करते मंगेश और किरण.
‘इश्क’ की कहानी कोची में घटती है. छोटा शहर है. लड़का-लड़की को शादी से पहले साथ देखकर समाज की भंवें तन जाती हैं. मगर ‘ऑपरेशन रोमियो’ मुंबई में घटती है. मुंबई देश के सबसे चिल्ड आउट जगहों में से है. मॉडर्न आउटलुक है उस शहर का. लोग अपनी लाइफ में इतने बिज़ी हैं कि उनके पास दूसरों के जीवन में झांकने का समय नहीं है. ऐसे में आदित्य और नेहा के साथ मुंबई में ये सब होता देख, बहुत कन्विंसिंग नहीं लगता. प्लस उस सिचुएशन में आदित्य जैसे रिएक्ट करता है, वो भी बहुत यकीनी नहीं है. हालांकि, जो चीज़ उस कपल के साथ इस फिल्म में होती दिखाई गई है, वो देश के किसी भी हिस्से में किसी के भी साथ हो सकती है.
गाड़ी में बैठकर नेहा के साथ बदसलूकी करने की कोशिश करता मंगेश.
‘ऑपरेशन रोमियो’ की खासियत है इसका एंड. नेहा को लगता है कि जिस रात इतना कुछ हुआ, उस रात के बारे में आदित्य ने सिर्फ एक ही चीज़ क्यों पूछी! उसका इंट्रेस्ट सिर्फ ये जानने में क्यों था कि मंगेश ने उसके साथ क्या किया. वो ये बात आदित्य से पूछती भी है. मगर आदित्य टाॉपिक चेंज कर देता है. इसके बाद जो होता है, वो फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है. मेरे लिए ये इकलौती चीज़ है, जिसकी वजह से मैं इस फिल्म को याद रखना चाहूंगा.
‘ऑपरेशन रोमियो’ को देखते हुए आपके भीतर वो खौफ, खीज और घुटन का भाव पैदा होता है. मगर उसकी इंटेंसिटी ‘इश्क’ के आसपास भी नहीं पहुंच पाती. क्योंकि ‘इश्क’ में शेन निगम और शाइन टॉम चाको जैसे एक्टर्स की तोड़फोड़ परफॉरमेंस ने फिल्म को एक नॉच ऊपर पहुंचा दिया था. ‘ऑपरेशन रोमियो’ में सिद्धांत गुप्ता ने आदित्य का रोल किया है. आदित्य एक आईटी कंपनी में काम करता है. मुंबई में अपनी मां और बहन के साथ रहता है. हमें सिर्फ उसका रिएक्शन देखने को मिलता है. वो जैसे रिएक्ट कर रहा है, उसकी क्या वजह है, इस बारे में हमें नहीं बताया जाता. हैरसमेंट के दौरान सिद्धांत बड़े रिलैक्स्ड दिखते हैं. थोड़ा सा लेड बैक ऐटिट्यूड. मगर मंगेश से बदला लेने वाले हिस्से में वो इसकी भारपाई करने की हरसंभव कोशिश करते हैं. नेहा का रोल किया है वेदिका पिंटो ने. वेदिका को रितविज़ के वीडियो ‘लिगी’ में देखा गया था. फिल्म में वेदिका के पास करने को ज़्यादा कुछ है नहीं. मगर वो पहली फिल्म के लिहाज़ से कॉन्फिडेंट लगती हैं.
मंगेश और किरण से बचकर निकलने के बाद सन्नाटे में घर जाते नेहा और आदित्य.
‘ऑपरेशन रोमियो’ के दो सबसे मजबूत स्तंभ हैं मंगेश और किरण. मंगेश का रोल किया है शरद केलकर ने. ये नेगेटिव कैरेक्टर है. मगर फिल्म के विलन को अपने परिवार के साथ नॉर्मल देखकर मानों एक भ्रम टूटता है. विलन लोगों की बड़ी सैड स्टोरी होती है. उनकी एक ओरिजिन स्टोरी होती है. यानी आज जो वो गलत चीज़ें कर रहा, उसके पीछे की कहानी. मंगेश के जीवन में ऐसा कुछ नहीं हुआ. वो रेगुलर फैमिली मैन है. शरद केलकर को इस तरह के मजबूत रोल्स में परफॉर्म करते देखना, बढ़िया अनुभव है. किरण का रोल किया है किशोर कदम ने. ये आदमी जो कुछ भी करता है, वो आपको अलग और एक्साइटिंग लगने लगता है.
कुल जमा बात ये है कि ‘ऑपरेशन रोमियो’ एक फेथफुल रीमेक है. मगर ये किसी भी फिल्म के होने का जस्टिफिकेशन नहीं हो सकता. क्योंकि आप आज के टाइम में एक ऐसे विषय पर बात कर रहे हैं, जो प्रासंगिक है. जिस पर कम बात होती है. मगर उसका ट्रीटमेंट अजीबोगरीब है. ये फिल्म एक गलत चीज़ को गलत बताने के फेर में खुद कई गलतियां करती हैं. इसका मतलब ये नहीं है कि इस फिल्म को सिरे से खारिज़ कर दिया जाए. अगर आप हार्ड हिटिंग मैसेज वाली फिल्में या रोमैंटिक थ्रिलर्स पसंद करते हैं, तो आप ‘ऑपरेशन रोमियो’ को एंजॉय करेंगे.