सुहागरात से जोधपुर की रूठी रानी की कहानी l रूठी रानी उमादे: क्यों संसार में अमर हो गई जैसलमेर की रानी!!

 राजस्थान के राजघराने की एक रानी जिसका नाम उमादे था| वह इतिहास में रूठी रानी के नाम से जाना जाता हैं| कहते है कि इनका विवाह जोधपुर के प्रतापी शासक मालदेव के साथ हुआ था| जैसलमेर की इस राजकुमारी के सुहागरात को अपने पति से ऐसी रूठी की मालदेव आजीवन उन्हें कभी नही मना नहीं पाया| उमादे जैसलमेर के रावल लूणकरण की कन्या थी| इसका विवाह 1536 में मारवाड़ के शासक राव मालदेव के साथ हुआ था| विवाह के अवसर पर रावल लूणकरण ने मालदेव को मारने का षड्यंत्र रचा| इसका पता उमादे की माँ को चलने पर उसने मालदेव को आगाह कर दिया|

 


संभवतः इसी वजह से मालदेव उमादे से अप्रसन्न हो गया| और उमादे मालदेव से रूठ गई| वह इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध हो गई| और अजमेर के दुर्ग में ही रहने लगी| शेरशाह के अजमेर पर आक्रमण 1543 की आशंका को देखते हुए मालदेव ने उसे जोधपुर बुलाया| मगर मालदेव की अन्य रानियों ने उसे जोधपुर आने से रोकने के लिए आसा नामक चारण कवि को उमादे के पास भेजा, उसने रानी को एक दोहा सुनाया|

 

इस दोहे को सुनकर उमादे ने जोधपुर जाने से इनकार कर दिया और कोसाना में ही रहने लगी| 1547 में वह अपने दत्तक पुत्र राम के साथ गुंदोज चली गई, वहां से उसी के साथ केलवा जाकर रहने लगी| राव मालदेव की मृत्यु 1562 में वह भी सती हो गई| राजस्थान के गौरवशाली इतिहास राजाओं और रानियों के पराक्रम वीरता के किस्सों से भरा पड़ा ही हैं साथ ही इसमें कुछ ऐसी कहानियां भी दर्ज है जो हेरत में डालने वाली हैं| आज की कहानी पन्द्रहवी सदी के एक अजेय यौद्धा मालदेव और उनकी रानी उमा दे की हैं|

 

52 युद्धों में अजेय रहने वाले मारवाड़ के मालदेव की 24 वर्ष की आयु में वर्ष 1535 में जैसलमेर की राजकुमारी उमादे के साथ विवाह सम्पन्न होता हैं| रानी को दहेज में भारमली नामक दासी मिलती हैं| कहानी कुछ इस तरह है कि जब मालदेव की शादी के बाद पहली रात थी रानी महल में मालदेव का इंतजार करने लगी अधिक देर होने पर भी जब मालदेव नहीं आए तो उमा दे उन्हें बुलाने दासी को भेजती हैं| मगर नशे में मालदेव दासी को ही रानी समझ बैठते है तथा हम बिस्तरी कर लेते हैं|

 

जब रानी ने उन्हें देखा तो उसी वक्त बोली राव आप मेरे लायक नहीं हो| इस घटना के बाद उमा दे ने कभी मालदेव से बात नहीं की और इतिहास में वो रुठी रानी कहलाई| कई इतिहासकार मानते है कि शेरशाह सूरी के साथ युद्ध में अजेय यौद्धा के हारने की एक वजह रानी उमादे थी|

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