खरगोन: 'प्रशासन ने नहीं तोड़ी गुमटी', अब अपने बयान से क्यों पलट गए वसीम शेख?

 मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के दिन हुई हिंसा मामले में पुलिस कार्रवाई पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इस बीच सोमवार, 18 अप्रैल को दिन भर एक विकलांग शख्स की चर्चा होती रही. नाम है वसीम शेख. वसीम के दोनों हाथ नहीं हैं. वसीम ने पहले आरोप लगाया था कि प्रशासन ने उनकी दुकान को गिरा दिया. हालांकि, अब वे सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने से बच रहे हैं. वसीम का कहना है कि जिसने भी उनकी गुमटी (दुकान) गिराई है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. रामनवमी हिंसा के बाद खरगोन प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की थी और कई “अवैध” दुकानों और घरों को तोड़ दिया था.





पहले क्या कहा था?

वसीम शेख की दुकान गिराए जाने का मामला जब तूल पकड़ा तो दी लल्लनटॉप ने वसीम से बात की थी. सोमवार, 18 अप्रैल को उन्होंने कहा था,


“मोहन टॉकीज के पास सड़क किनारे लगी मेरी गुमटी पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया. ये जगह पत्थरबाजी वाली जगह से करीब 2 किलोमीटर दूर है. ये दुकान ही मेरी रोजी-रोटी का जरिया थी, कोई दूसरा कारोबार नहीं है. मै कैसे घर चलाऊंगा?”


प्रशासन के वीडियो में क्या बोले वसीम शेख?

मीडिया में मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन भी एक्टिव हुआ. खरगोन नगरपालिका सीएमओ प्रियंका पटेल सोमवार शाम वसीम शेख के घर पहुंच गईं. और इसके बाद वसीम के बोल कुछ बदल गए. प्रशासन ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें वसीम ने प्रशासन पर सीधे-सीधे आरोप नहीं लगाया है. इसमें वसीम कह रहे हैं,


“मेरे नाम से अफवाह फैलाई जा रही है. मेरी गुमटी और मकान जिला प्रशासन द्वारा नहीं तोड़े गए हैं. इसलिए किसी तरह का अफवाह ना फैलाएं. मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द शांति स्थापित हो. अमन-चैन के लिए सभी सहयोग करें.”


वसीम शेख और उसका परिवार

वसीम शेख से मुलाकात के बाद नगरपालिका सीएमओ प्रियंका पटेल ने भी एक बयान दिया. इसमें उन्होंने कहा कि प्रशासन ने छोटी मोहन टॉकीज के आसपास कार्रवाई की थी, जो कानून के मुताबिक थी. उन्होंने कहा,


“इनकी (वसीम शेख) गुमटी उस कार्रवाई में नहीं टूटी है. इन्होंने बताया है कि उसमें कुछ सामान भी नहीं था. हम अनुरोध करते हैं कि जो भी ये अफवाह फैला रहे हैं और लोगों के बीच भ्रम बना रहे हैं, आप कृपया ऐसा ना करें. क्योंकि ऐसा करने पर प्रशासन आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है.”


वसीम ने बता दी अपने नए बयान की असलियत?

वसीम ने अपना बयान क्यों बदला, यह जानने के लिए मंगलवार, 19 अप्रैल को आज तक ने वसीम से बात की. इसमें उन्होंने किसी तरह के प्रशासनिक दबाव से इनकार किया. वसीम ने कहा,


“मैडम (नगरपालिका सीएमओ) आईं थीं और उन्होंने कहा कि आपकी दुकान को प्रशासन ने नहीं तोड़ा है. मेरा प्रशासन से निवेदन है कि अगर प्रशासन ने नहीं तोड़ा है तो वहां के सीसीटीवी कैमरे को चेक किया जाए. अगर दंगाइयों ने तोड़ी है तो उन पर कार्रवाई हो और मुझे इंसाफ मिले.”


क्या गलती से तोड़ी गई गुमटी?

सोशल मीडिया पर वसीम की गुमटी को गिराने का मामला वायरल होने के बाद 18 अप्रैल को खरगोन के एक अधिकारी ने इंडिया टुडे को नाम न छापने की शर्त पर बताया था कि वसीम की दुकान को अवैध घोषित नहीं किया गया था. अधिकारी के मुताबिक ऐसे में संभव है कि असल आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए गलती से वसीम की गुमटी पर बुलडोजर चला दिया गया हो.


करंट के चलते कट गए थे दोनों हाथ

वसीम शेख साल 2005 में बिजली की करंट की चपेट में आए थे. जिसके कारण उनके दोनों हाथ काटने पड़े थे. वसीम ने लल्लनटॉप को बताया था कि उनके परिवार में कुल पांच सदस्य हैं. दो छोटे बच्चे हैं जो स्कूल जाते हैं. एक पत्नी और बूढ़ी मां है. उन्होंने कहा था कि प्रशासन की कार्रवाई से उनके परिवार का भविष्य खतरे में पड़ गया है.

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