क्या UGC का डुअल डिग्री प्रोग्राम छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए बोझ साबित होगा?

 12 अप्रैल 2022. UGC के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें उन्होंने UGC द्वारा डुअल डिग्री प्रोग्राम को मंजूरी देने की बात कही. डुअल डिग्री प्रोग्राम, यानी एक साथ दो कोर्सेज की पढ़ाई पूरी करने और दो डिग्री लेने का इंतजाम. और तो और छात्रों के पास दोनों डिग्री फिजिकल मोड में पूरा करने का विकल्प होगा. यानी कि दोनों कोर्स के लिए कैम्पस में रेगुलर क्लास अटेंड कर सकेंगे और परीक्षा दे सकेंगे. पहले भी इस स्कीम पर काफी चर्चा हुई थी. लेकिन लागू नहीं हो पाया था. डुअल डिग्री प्रोग्राम को लाने के पीछे की वजह क्या है, इसके नियम-कानून क्या हैं और इस प्रोग्राम पर क्या सवाल उठ रहे हैं, ये सब बताते हैं आपको विस्तार से.





डुअल डिग्री प्रोग्राम का उद्देश्य क्या है?

दिन भर क्लास के बाद लाइब्रेरी और सेल्फ स्टडी. फिर अगले दिन से वही रूटीन. एक कोर्स की पढ़ाई करने में ही छात्रों का पूरा दिन निकल जाता है. ऐसे में जब डुअल डिग्री प्रोग्राम की घोषणा हुई तो ये सवाल हममें से कई लोगों के मन में आया कि इसकी जरूरत क्या थी? इस सवाल के जवाब में UGC के चेयरमैन एम जगदीश कुमार कहते हैं कि अलग-अलग विषयों से ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले छात्रों को ढेर सारे अवसर मिल सकें, इस बात की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है.


एक साथ दो डिग्री पूरी करने को UGC ने मंजूरी दे दी है. (फोटो- इंडिया टुडे)


एक साथ दो डिग्री पूरी करने को UGC ने मंजूरी दे दी है. (फोटो- इंडिया टुडे)

UGC की ओर से जारी गाइडलाइंस में डुअल डिग्री प्रोग्राम का उद्देश्य बताया गया है-





1. प्रत्येक छात्र की क्षमताओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने के लिए टीचर्स के साथ-साथ पैरेंट्स को भी संवेदनशील बनाना ताकि छात्र के समग्र विकास को ऐकडेमिक और नॉन ऐकडेमिक दोनों क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जा सके.


2. आर्ट्स और साइंस के बीच, करिकुलर और एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटी के बीच, वोकेशनल और ऐकडेमिक स्ट्रीम्स के बीच कोई बहुत बड़ा विभाजन न हो.


3. स्टूडेंट्स के सामने साइंस, आर्ट्स, सोशल साइंस, ह्यूमैनिटीज, लैंग्वेज, प्रोफेशनल, टेक्निकल और वोकेशनल कोर्सेज का विकल्प रखना ताकि उन्हें विचारशील और क्रिएटिव बनाया जा सके.


4. किसी व्यक्ति को अपनी पसंद के एक या एक से अधिक क्षेत्रों का गहन अध्ययन करने में सक्षम बनाना ताकि चरित्र, सेवा भाव, बौद्धिक जिज्ञासा, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, नैतिक और संवैधानिक मूल्यों का विकास हो सके.


गाइडलाइंस में और क्या है?

1. छात्र एक साथ दो फुल टाइम ऐकडेमिक प्रोग्राम फिजिकल मोड में यानी कैम्पस जाकर क्लास अटेंड कर पूरा कर सकते हैं. बस ये ध्यान रखना होगा कि किसी एक कोर्स की क्लास टाइमिंग, दूसरे की क्लास टाइमिंग को ओवरलैप न करती हो. इसके अलावा एक कोर्स फिजिकल मोड में और दूसरा कोर्स ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL)/ऑनलाइन मोड में या फिर दोनों ही कोर्स ODL या ऑनलाइन मोड में पूरे किए जा सकते हैं.


2. ये गाइडलाइन अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डिप्लोमा प्रोग्राम्स के लिए लागू होगा. PhD के लिए ये लागू नहीं होगा.


3. ODL/ऑनलाइन मोड के तहत डिग्री/डिप्लोमा कोर्स के लिए वही संस्थान मान्य होंगे जो UGC/सांविधिक परिषद/भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं.


अटेंडेंस पॉलिसी क्या होगी?

अटेंडेंस पॉलिसी तय करने का अधिकार यूनिवर्सिटी/इंस्टीट्यूट्स को होगा. UGC का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. छात्रों के परीक्षा में बैठने और दोनों कोर्सेज की पढ़ाई पूरी करने में सक्षम होने के लिए कोई भी मानदंड संबंधित यूनिवर्सिटी/इंस्टीट्यूट्स द्वारा ही तय किया जाएगा.


क्या ये सभी संस्थानों में लागू होगा?

यह यूनिवर्सिटी/इंस्टीट्यूट्स के लिए वैकल्पिक है. अनिवार्य नहीं है. विश्वविद्यालयों को यह छूट दी जाएगी कि वे डुअल डिग्री प्रोग्राम ऑफर करना चाहते हैं या नहीं. जिन विश्वविद्यालयों में डुअल डिग्री प्रोग्राम लागू होगा केवल वहीं से इसका लाभ लिया जा सकेगा.


एडमिशन प्रोसेस क्या होगा?

एडमिशन प्रोसेस का निर्धारण यूनिवर्सिटी/इंस्टीट्यूट्स द्वारा किया जाएगा. इसके लिए सभी यूनिवर्सिटी/इंस्टीट्यूट्स को अपने हिसाब से नियम-कानून बनाने का अधिकार होगा. अगर कोई छात्र एक फिजिकल डिग्री और एक ऑनलाइन डिग्री के लिए अप्लाई करता है तो फिर फिजिकल डिग्री के लिए यूनिवर्सिटी की एडमिशन पॉलिसी को मानना पड़ेगा. उसके लिए CUET या जो भी एंट्रेंस एग्जाम होगा वो पास करना पड़ेगा. ऑनलाइन डिग्री के लिए कोई एंट्रेंस एग्जाम नहीं होगा. 12वीं पास करने के बाद कोई भी छात्र ऑनलाइन कोर्स में एडमिशन ले सकता है. कोर्स के लिए सीट अलॉटमेंट किस तरह से होगा, ये भी यूनिवर्सिटी द्वारा ही तय किया जाएगा.


कोर्स कॉम्बिनेशन कैसे तय होगा?

स्टूडेंट किसी भी स्ट्रीम के कोर्सेज को एक साथ पढ़ने का विकल्प चुन सकते हैं. छात्रों के पास साइंस, सोशल साइंस, आर्ट्स, ह्यूमैनिटिज के विकल्प उपलब्ध रहेंगे. छात्र अपनी पसंद के हिसाब से डोमेन चुन सकते हैं. यानी आर्ट के साथ साइंस का कोर्स या कॉमर्स के साथ सोशल साइंस भी चुन सकते हैं. हालांकि, छात्र कौन से दो प्रोग्राम फिजिकल मोड में पढ़ाई के लिए चुनते हैं ये पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगी कि संबंधित यूनिवर्सिटी ने इसके लिए छात्रों की क्या योग्यता तय की है. यह रैंडम चॉइस नहीं होगा. छात्रों को ये चेक करना पड़ेगा कि क्या वे जो दो कोर्स चुन रहे हैं, वे उसके लिए जरूरी योग्यता को पूरा करते हैं या नहीं?


एक साथ कर सकेंगे UG और PG?

छात्रों के पास एक डिप्लोमा और एक PG प्रोग्राम करने, दो मास्टर्स प्रोग्राम या दो ग्रेजुएट प्रोग्राम एक साथ करने की अनुमति होगी. PG का कोई छात्र अगर चाहे तो UG में फिर से एडमिशन ले सकता है. बशर्ते वो संबंधित कोर्स के लिए योग्यता रखता हो. इसे ऐसे समझिए कि अगर B.Com. पूरी करने और M.Com. में एडमिशन लेने के बाद अगर किसी छात्र को लगता है कि उसे BA भी कर लेना चाहिए तो वो M.Com. के साथ-साथ BA भी कर सकता है.


प्रतीकात्मक तस्वीर. (पीटीआई)

पूरा करना होगा क्रेडिट

स्टूडेंट्स को डिग्री पूरी करने के लिए जरूरी सभी क्रेडिट प्राप्त करना होगा. यह उन कोर्सेज पर भी लागू होगा जहां कुछ सब्जेक्ट्स कॉमन होते हैं. जैसे बीए इकॉनमिक्स और बीबीए कोर्स में कुछ सब्जेक्ट कॉमन हो सकते हैं. लेकिन अगर कोई छात्र दोनों कोर्सेज की पढ़ाई कर रहा है तो उसे दोनों प्रोग्राम्स में जरूरी क्रेडिट प्राप्त करना होगा.


क्या समस्याएं हैं?

डुअल डिग्री प्रोग्राम की घोषणा होने के बाद से ही इसे लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं. अलग-अलग यूनिवर्सिटी के कई टीचर्स ने इस पर चिंता जताई है. अध्यापकों का कहना है कि ऐसा करने से डिग्री का महत्व कम हो सकता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर राजेश झा कहते हैं-


विश्वविद्यालय डिग्री को एक फुलटाइम प्रोग्राम मानते हैं, जिसमें छात्रों से पूर्ण ध्यान की अपेक्षा की जाती है. एक छात्र को कम से कम 8 घंटे की कक्षाओं में उपस्थित होना आवश्यक होता है. यह 2 डिग्री के साथ कैसे संभव होगा? क्या सेल्फ स्टडी महत्वपूर्ण नहीं है? छात्र रोबोट हैं या सुपरमैन? इसके अलावा यह ऑनर्स और प्रोग्राम कोर्सेज के बीच अंतर को समाप्त करता है. ऑनर्स डिग्री यानी कि संबंधित विषय का व्यापक, उन्नत और गहन ज्ञान. एक साथ दो ऑनर्स डिग्री में क्या ये संभव हो पाएगा?


कई प्रोफेसर्स का ये भी मानना है कि भले ही अभी इसे संस्थानों के लिए अनिवार्य न बताया जा रहा हो, लेकिन यूजीसी की गाइडलाइंस और नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए क्रेडिट की दौड़ इसे विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी बना देगी. इसके अलावा विश्वविद्यालय पहले से ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. 22 जुलाई 2021 को राज्यसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया था कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल स्वीकृत 18911 शैक्षिक पदों में से 6136 पद खाली हैं. सबसे ज्यादा 846 पद दिल्ली विश्वविद्यालय में खाली हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 598 और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में 422 पद खाली हैं. ऐसे में डुअल डिग्री प्रोग्राम विश्वविद्यालयों के लिए अतिरिक्त बोझ साबित हो सकता है.


2012 में भी हुई थी पहल

एकसाथ दो डिग्री पूरा करने का ये मुद्दा पहली बार नहीं उठा है. इससे पहले 2012 में भी यूजीसी ने एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी की अध्यक्षता हैदराबाद यूनिवर्सिटी के वीसी फुरक़ान क़मर कर रहे थे. उन्होंने यूजीसी को दिए गए सुझाव में कहा था कि रेगुलर मोड में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट को एक अतिरिक्त डिग्री लेने की छूट होनी चाहिए. दूसरी डिग्री ओपेन या डिस्टेंस मोड में उसी या किसी दूसरी यूनिवर्सिटी से भी हो सकती है. लेकिन एक साथ रेगुलर मोड में दो डिग्री पूरी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इससे ऐकडेमिक और एडमिनिस्ट्रेटिव, दोनों तरह की समस्याएं हो सकती हैं.


तब यूजीसी के अधिकारियों ने कहा था कि इन सुझावों को ज्यादा समर्थन नहीं मिला था, इसलिए इसे अमल में नहीं लाया जा सका. इसके बाद 2019 में यूजीसी के उपाध्यक्ष भूषण पटवर्धन के नेतृत्व में भी एक समिति बनाई गई थी. इस समिति का काम ये पता करना था कि अलग-अलग यूनिवर्सिटी में या फिर एक ही यूनिवर्सिटी में, ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड या पार्ट टाइम मोड में किस तरह से एकसाथ दो डिग्री पूरी की जा सकती हैं.

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