इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक मामला आया. एक महिला ने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. अपनी बेटी की कस्टडी के लिए. आरोप लगाया कि एक लड़की ने उसे बंधक बनाकर रख लिया है. फिर बेटी और उसकी पार्टनर कोर्ट पहुंचीं. लेस्बियन पार्टनर. दोनों ने मर्ज़ी से साथ रहने और शादी करने की बात की. यूपी सरकार ने इस शादी को संस्कृति के खिलाफ बताया. इसके बाद जस्टिस शेखर कुमार यादव की बेंच ने उनकी शादी को मान्यता देने से इनकार कर दिया.
Same Sex Marriage का पूरा मामला क्या है?
लाइव लॉकी रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में हेबियस कॉर्पस याचिका लगाई. हिंदी में इस याचिका का नाम है बंदी प्रत्यक्षीकरण. जब किसी व्यक्ति को लगता है कि उसे या किसी और को गलत वजहों से हिरासत में रखा गया है तो वो हेबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकता है. कोर्ट अगर ये याचिका स्वीकर कर लेता है तो संबंधित व्यक्ति को कोर्ट में पेश करना होता है और उसे हिरासत में रखने वाले को कोर्ट में जवाब देना होता है.
अपनी याचिका में महिला ने 22 साल की एक लड़की रिया (बदला हुआ नाम) पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी 23 साल की बेटी रिद्धिमा (बदला हुआ नाम) को बंदी बनाकर रखा है. 6 अप्रैल को हाईकोर्ट ने रिद्धिमा और रिया को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया. 7 अप्रैल को दोनों लड़कियां कोर्ट में पेश हुईं. कहा कि वो दोनों बालिग हैं और एक दूसरे से प्रेम करती हैं. ये भी बताया कि दोनों ने आपसी सहमति से समलैंगिक शादी कर ली है. दोनों ने शादी का सर्टिफिकेट भी कोर्ट में दिखाया. इसके साथ ही दोनों ने हाई कोर्ट से अपील की कि उनकी शादी को मान्यता दे दी जाए.
अपनी अपील में दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले का हवाला दिया. इस फैसले में कोर्ट ने IPC के सेक्शन 377 को खारिज करते हुए समलैंगिक संबंधों को वैध करार दिया था. इसके साथ ही उन्होंने हिंदू मैरिज ऐक्ट का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू मैरिज ऐक्ट दो लोगों के बीच शादी को मान्यता देता है और कानून में समलैंगिक शादियों को लेकर कोई विरोध नहीं है.
Allahabad High Court
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो समलैंगिक लड़कियों की शादी को मान्यता देने से इनकार कर दिया. फोटो- wikimedia Commons
समलैंगिक शादी भारतीय संस्कृति के खिलाफः यूपी सरकार
दोनों लड़कियों की अपील पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा. यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट ने दोनों लड़कियों की याचिका का विरोध किया. सरकार ने कहा,
“भारतीय कानून और संस्कृति के मुताबिक, शादी के लिए एक बायोलॉजिकल हस्बैंड और बायोलॉजिकल वाइफ का होना ज़रूरी होता है. उनके बिना शादी के रिचुअल्स पूरे नहीं होते हैं. होमोसेक्शुअल शादी को मान्यता नहीं दी जा सकती है क्योंकि उसमें एक महिला और एक पुरुष नहीं होते हैं, न ही वो बच्चा पैदा कर सकते हैं.”
सरकार ने ये भी कहा कि भारत संस्कृति, धर्म और कानून से चलता है. भारत में शादी एक पवित्र बंधन है जबकि दूसरे देशों में इस कॉन्ट्रैक्ट की तरह देखा जाता है. सरकार ने ये भी कहा कि शादी से जुड़े भारत के किसी भी कानून में यानी हिंदू मैरिज ऐक्ट, स्पेशल मैरिज ऐक्ट और फॉरेन मैरिज ऐक्ट में समलैंगिक शादियों को मान्यता नहीं दी गई है. सरकार ने कहा कि मुस्लिम, बौद्ध और जैन धर्मों में भी समलैंगिक शादियों को मान्यता नहीं दी जाती है.